श्री श्याम मन्दिर खाटूश्यामजी, राजस्थान

श्री खाटू श्याम जी भारत देश के राजस्थान राज्य के सीकर जिले में एक प्रसिद्ध कस्बा है, जहाँ पर बाबा श्याम का विश्व विख्यात मंदिर है। ये मंदिर करीब 1000 साल पुराना है जिसे 1720 में अभय सिंह जी द्वारा मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया था। इस मंदिर में भीम के पौत्र और घटोत्कच के तीनों पुत्रों में से ज्येष्ठ पुत्र बर्बरीक के सिर की पूजा होती है। जबकि बर्बरीक के धड़ की पूजा हरियाणा के हिसार जिले के एक छोटे से गांव स्याहड़वा में होती है।

2023 में घूमने की कई सारी योजनाएं बनाई थी, यहां तक कि बनारस और प्रयागराज के रेल टिकिट तक बुक करवा लिए थे, लेकिन वो कहते हैं ना कि अगर आपकी किस्मत में नही जाना लिखा है तो कुछ भी कर लो नही जा पाओगे। ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ, जाने की सारी तैयारियां धरी की धरी रह गई।

एक और चीज हम सुनते आए हैं कि जो भी होता है वो अच्छे के लिए ही होता है। शायद 2023 के लिए भी परमपिता ने ऐसा ही कुछ सोच रखा था। मैंने सोचा भी नही था कि 2023 की घुमक्कड़ी यात्रा की शुरुआत मेरे आराध्य बालाजी सरकार के सालासर धाम से होगी।

13 अप्रैल 2023 को उज्ज्वल के 8वी बोर्ड की परीक्षा जैसे ही खत्म हुई उसी दिन तय कर लिया अगले दिन 14 अप्रैल को सालासर धाम जाना ही है तो 13 की शाम को घोषणा कर दी कि सुबह जल्दी खाटूश्यामजी और सालासर धाम के लिए प्रस्थान करेंगे। अतः यात्रीगण समय से तैयार हो जाएं।

मैं अगले दिन सुबह 5 बजे उठकर तैयार हो गया, लेकिन हमारे लक्ष्मी देवी जी ने अपनी परंपरा कायम रखी और तैयार होने में 6.30 बजा ही दिया, मुझे यूँ लगा कि 6.30 तो सिर्फ घड़ी में बजे हैं, हकीकतन मेरे प्लान के 12 बज गए हैं।

आखिरकार 7 बजे हम लोग घर से निकले और मेरे ऑफिस से गौरीशंकर को पिकअप किया, गौरीशंकर मेरे ऑफिस में गाड़ी चलाता है और उसे भी खाटूश्यामजी के दर्शन करने थे तो मैंने सोचा मुझे भी कम्पनी मिल जाएगी साथ ही थकान होने पर गौरी गाड़ी भी चला लेगा।

हम लोग कांकरोली से वाया गंगापुर होते हुए भीलवाड़ा पहुंचे और भीलवाड़ा से 6 लेन हाइवे होते हुए लगभग 11 बजे किशनगढ़ जा पहुंचे।

किशनगढ़ में हमने चाय नास्ता किया, और फिर से मंज़िल की ओर बढ़ चले, रूपनगढ़ पहुंचे ही थे कि दिमाग मे आया क्यों न एक बार अपने ग्रुप के Pankaj Dadhich जी जो सालासर रहते हैं उनसे बात कर ली जाए।

पंकज जी को कॉल पर बताया कि हम लोग सालासर आ रहे हैं और इस वक़्त किशनगढ़ से आगे निकल चुके हैं, पंकज जी ने जो कहा उसे सुनकर एक बार तो खुद पर बहुत गुस्सा आया कि मैंने इतनी बड़ी गलती कैसे कर दी?

दरअसल हुआ ये की पंकज जी ने बोला सर इस वक़्त बहुत भीड़ है और काफी लंबी लाइनें लगी है, अगर आप मुझे कल कॉल कर देते तो मैं आपके लिए कुछ व्यवस्था कर देता और आपको आसानी रहती। तब मुझे महसूस हुआ कि एक दिन पहले कॉल न करके मैने कितनी बड़ी गलती की है।

श्री श्याम मन्दिर खाटूश्यामजी, राजस्थान
श्री श्याम मन्दिर खाटूश्यामजी, राजस्थान

पंकज जी ने कहा कोई बात नही आप अगर हो सके तो कल आइये, कल मैं मिल जाऊंगा और आपके लिए व्यवस्था करवा दूंगा, तो हमने प्लान में बदलाव किया और पहले खाटूश्यामजी जाने का इरादा बनाया ताकि वहां रात्रि विश्राम के बाद अगले दिन सालासर जाएं।

रूपनगढ़ से गूगल मैप पर खाटूश्याम जी का रास्ता देखा जो फुलेरा, जोबनेर होते हुए था। सामने सड़क भी मेगा हाइवे थी तो लगा ये रास्ता ठीक रहेगा, और हम उसी मेगा हाइवे पर चल दिये।

रूपनगढ़ से कुछ आगे निकले ही थे कि सोचा पंकज जी को कॉल करके बोल दूं कि हम खाटूश्यामजी जा रहे हैं और कल सुबह सालासर पहुंच जाएंगे।

कॉल करते ही पंकज जी ने कहा कि मैंने अपने छोटे भाई से बात कर ली है वो आपके लिए सब व्यवस्था कर देंगे, आप अगर हो सके तो खाटूश्यामजी दर्शन कर आज ही सालासर आ जाइये।हमने भी हाँ कर दी और बोल दिया कि अगर समय से दर्शन करके फ्री हो जाएंगे तो आज ही सालासर आ जाएंगे।

यहां तक सब ठीक हो गया है ऐसा प्रतीत हो रहा था। मेगा हाइवे की अच्छी स्थिति देख लग रहा था बड़ी आसानी से श्याम बाबा के दर्शन कर सालासर पहुंच जाएंगे। लेकिन शायद बिना परीक्षा दिए श्याम बाबा के दर्शन करना हमारी किस्मत में नही लिखा था।

कुछ 30-35 की दूरी ही तय की थी कि आगे सड़क को खोद कर नई सड़क बनाने का काम चल रहा था।हमें लगा थोड़ी ही दूरी तक होगा ऐसा, आगे फिर से अच्छी सड़क मिल जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ भी नही था, फुलेरा क्रोस करने के बाद भी यथास्थिति बनी हुई थी, बीच बीच मे कुछ 100 मीटर की दूरी में अच्छी सड़क आती और फिर वही खुदी हुई सड़क।

अफसोस हो रहा था कि क्यों ये रास्ता लिया, इससे अच्छा जयपुर होकर चले जाते। लेकिन हमें पता नही था कि ये अंत नही है, आगे बहुत कुछ शेष है। जोबनेर में हमने रास्ता पूछा तो पता चला आगे अच्छा रास्ता है, ये सुनकर हमें थोड़ी राहत मिली, लेकिन ये राहत भी अस्थायी थी।

दरअसल जोबनेर से निकलकर हमने एक चौराहे पर रास्ता पूछा तो वहां से हमें जिस रास्ते के बारे में बोला गया वह रास्ता सिंगल रोड़ था और गांवों से होकर गुजर रहा था।हमें बिल्कुल भी अंदाज़ा नही था वरना हम वो रास्ता न पकड़ कर लम्बे रास्ते से ही जाते।

जो रास्ता चौराहे पर अच्छा दिख रहा था थोड़ा सा आगे जाते ही सिंगल रोड़ में बदल गया और साथ ही उसकी खराब स्थिति भी सामने आ गई, हमने फिर से गलत अंदाज़ा लगाया कि शायद ये कुछ ही दूरी तक है आगे फिर से सही रास्ता मिल जाएगा।

लेकिन ये क्या 10-15 किलोमीटर चले थे कि रास्ता गायब और फिर से कच्चा कंकर पत्थर वाला रास्ता आ गया। दिमाग ने काम करना ही बन्द कर दिया, लेकिन अब कुछ नही हो सकता था,वापस जाने से भी कोई फायदा नही था इसलिए चलते रहे।

श्री श्याम मन्दिर खाटूश्यामजी, राजस्थान
श्री श्याम मन्दिर खाटूश्यामजी, राजस्थान

पूरे रास्ते मे गिने चुने वाहन ही जाते दिख रहे थे। वो भी ट्रैक्टर, बाइक, इक्का दुक्का कार इत्यादि। रास्ते मे एक जगह तो JCB ने पूरा रास्ता खोद रखा था और उसकी मिट्टी में एक कार फंसी हुई भी थी। कुछ समझ नही आया क्या करें?

तभी एक कार आई और 2 मिनट हालात का जायजा लेकर, तेज गति से उस मिट्टी भरे रास्ते को पार कर गई, तो हमें भी समझ आया कि रफ्तार से निकलेंगे तो फँसने के चांस कम हैं, हमने भी रफ्तार के साथ कार को उस जगह से निकाल लिया, रास्ता बदस्तूर कंकर पत्थर वाला ही रहा।

हमें ऐसा लग रहा था कि शायद ये रास्ता कभी भी खत्म नही होने वाला, हमारी ज़िंदगी इस सफर में सफर(suffer) करते करते ही बीत जाने वाली है।

जब गूगल मैप खाटूश्यामजी मन्दिर 14 किमी दर्शा रहा था तब एक गांव आने पर हमने फिर से ग्रामीणों को पूछा खाटूश्यामजी जाना है, तो वे बोले आप खाटूश्यामजी मन्दिर से मात्र 200 मीटर दूर हैं। गाड़ी पार्किंग में खड़ी कर दर्शन कर लीजिए।

मुझे विश्वास ही नही हुआ, चक्कर क्या है? गूगल मैप तो 14किमी दूर दिखा रहा है और ये लोग कह रहे हैं कि यही खाटू है। ग्रामीणों की बात का पूरी तरह यकीन नही आया तो सोचा आगे बढ़कर देखते हैं।

आगे जाते ही दुकानों के होर्डिंग्स पर खाटू लिखा देखा तो भी लगा शायद ये कोई ओर खाटू है। फिर से एक स्थान पर पूछा तो बोला गया आप मन्दिर के ठीक पास में मात्र 100 मीटर दूरी पर हो, तब तक आसपास की दुकानों और रास्ते मे संकेतकों को देख हमें भी लग गया कि गूगल मैप गलत है।

श्री श्याम मन्दिर खाटूश्यामजी, राजस्थान
श्री श्याम मन्दिर खाटूश्यामजी, राजस्थान

हमने पार्किंग में कार खड़ी की और पैदल ही पूछ पूछ कर मन्दिर की और बढ़े, आगे बाजार में सजी धजी दुकानें और श्रद्धालुओं की भीड़ से कन्फर्म हो गया कि आज गूगल मैप गलत था।

मन्दिर के बाहर से फूल माला, प्रसाद आदि लेकर मन्दिर में प्रवेश किया, मन्दिर में पहले के मुकाबले दर्शन व्यवस्था अब बहुत बदल चुकी थी, नई व्यवस्था की वजह से हज़ारों की भीड़ होने पर भी दर्शन आराम से और जल्दी हो सकते हैं।

2-3 मिनट तक सुकून से श्याम बाबा के दर्शन किये, प्रसाद चढ़ाया और मन्दिर परिसर में कुछ तस्वीरें ली। फिर मन्दिर परिसर से बाहर आकर, बाज़ारों की रौनक देखते हुए कुछ खरीदारी भी की।इस सब मे 3 बज चुके थे।

हमने तय किया आज खाटूश्यामजी न रुक कर सालासर ही जायेंगे, सम्भव हुआ तो बालाजी के दर्शन आज ही करेंगे अन्यथा रात्रि विश्राम कर कल सुबह बालाजी के दर्शन करेंगे।

सुबह से सिर्फ एक बार नास्ता किया था भूख भी लग रही थी, श्रीमती जी घर से खाना बनाकर लाई थी तो हमने खाटू में ही भोजन करने का निश्चय किया। गाड़ी लेकर खाटू कस्बे से बाहर निकल कर एक अच्छी जगह देखकर भोजन किया और यात्रीगण फिर से चल पड़े सालासर धाम की तरफ।

खाटूश्यामजी से हम भोजन कर 3.30 बजे सालासर धाम की तरफ रवाना हुए, लगभग 10किमी चलने के बाद जयपुर बीकानेर फोर लेन हाइवे आ गया और ऊबड़खाबड़ रास्ते की जगह शानदार चमचमाती सड़क ने ले ली। घण्टो तक खड्डों से भरी सिंगल रोड़ पर चलने के बाद इस रोड़ पर चलना खुशनुमा अहसास से भरा था।

सीकर होते हए हम लोग करीब 5.30 बजे सालासर धाम पहुंच गए, वहां पार्किंग में गाड़ी खड़ी करके, हमने Pankaj Dadhich जी के दिये हुए नम्बर पर अभिषेक जी से बात की, उन्होंने कहा आप मन्दिर के सामने आ जाईये।

हम लोग बालाजी मंदिर के सामने पहुंचे, बालाजी मंदिर का भव्य द्वार देख मुझे सुखद अनुभूति हुई, आखिरकार मेरी बरसों की तमन्ना पूरी होने जा रही थी। बरसों तक बालाजी के दर्शन के सौभाग्य से वंचित जो रहा था। यहां बूंदी के लड्डुओं का प्रसाद लिया।

यहां अभिषेक जी द्वारा भेजे गए भैया आये और हम सबको लेकर मन्दिर के अंदर प्रवेश किया, मन्दिर बेहद विशाल और भव्य था। श्रद्धालुओं की भीड़ से मन्दिर का माहौल एकदम भक्तिमय हो रहा था। मन्दिर के अनेक रास्तों व सिक्योरिटी पड़ावों से गुज़र कर हम बालाजी के सामने थे।

बालाजी के दर्शन करते करते मेरी आँखें भर आईं, क्योंकि बालाजी के दर्शन की कामना जाने कब से लिये बैठा था किंतु अनेक कारणों से मेरी यात्राएं टलती रही थी। कुछ पलों तक बालाजी के सामने हाथ जोड़ अश्रुपूरित नयनों से दर्शन करता रहा। अपने सभी अच्छे बुरे कर्म बालाजी के चरणों मे समर्पित कर नए जीवन का आशीष मांग बालाजी से विदा ली।

आगे आकर एक स्थान पर एक पुजारी जी से तिलक लगवाया और हाथ पर कलेवा बंधवाया। फिर महाराज जी मोहन दास जी की समाधि और हवन कुंड देखने की भैया से गुजारिश की,भैया ने अच्छे से हमें दोनो जगह के दर्शन करवाये। फिर हम मन्दिर के बाहर आ गए।

दिलोदिमाग एक अलौकिक खुशी से सराबोर था, भावनाओं के सागर में उफनती लहरें अब शांत हो चली थी, लेकिन दिल वहां से जाने को तैयार नही था, मन कर रहा था कि फिर से अंदर जाऊं और घण्टों तक बालाजी के सामने मूक स्थिति में बैठ उनको निहारता रहूं।

श्री श्याम मन्दिर खाटूश्यामजी, राजस्थान
श्री श्याम मन्दिर खाटूश्यामजी, राजस्थान

बालाजी का यह मंदिर परमपूज्य महाराज मोहनदास जी द्वारा बनवाया गया था, महाराज जी की अनन्य भक्ति से प्रसन्न होकर बालाजी ने वि.सं. 1811 (सन 1755) में महाराज जी को दर्शन दिए थे। भारत मे यह एक मात्र प्रतिमा है जहां बालाजी दाढ़ी मूंछ धारण किये हुए है। भारत में बालाजी के सबसे प्रसिद्ध 3 मन्दिरो में से इसे एक माना जाता है।

दिल मे इच्छा थी कि हम कुछ और देर मन्दिर में रुकें, लेकिन 6 बजे थे तो तय किया कि आज ही वापसी की यात्रा शुरू कर देंगे इसलिये हम अभिषेक जी की दुकान पर गए, जहां उन्होंने भोजन के लिए आमंत्रित किया, हमने भोजन देर से ही किया था इसलिए हमने उनका मान रखने के लिए सिर्फ जूस पिया।

फिर अभिषेक जी और सालासर धाम से विदा ले 6.15 बजे हमने प्रस्थान कर लिया, इस बार हमने कुचामन, डीडवाना, परबतसर किशनगढ़ का रूट लिया और रात्रि 11.00 बजे नसीराबाद आ पहुंचे।

श्री श्याम मन्दिर खाटूश्यामजी, राजस्थान
श्री श्याम मन्दिर खाटूश्यामजी, राजस्थान

नसीराबाद में पहले गाड़ी के खुराक(पेट्रोल) की व्यवस्था की, और फिर हमारी खुराक के लिए हमने न्यू मन्नत रेस्टोरेंट को चुना, यहां के लजीज भोजन से आनन्द आ गया।

अब सफर का आखिरी हिस्सा ही बचा था तो नसीराबाद से प्रस्थान कर 6 लेन पर चलते हुए रात्रि 2 बजे घर पहुंच गए। 20 घण्टे से भी कम समय मे हमने 900 किमी से ज्यादा की यात्रा कर ली थी, लेकिन शारीरिक थकान की बजाय बालाजी की स्मृतियां हावी थी, बालाजी की मनमोहक छवि को नयनों में लिए निद्रा की आगोश में खो गया।

Post by Ratan Bagwan



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