14 मई को नृसिंह जयंती : इस दिन भगवान विष्णु ने भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए लिया था चौथा नरसिंह अवतार

14 मई को नृसिंह जयंती : इस दिन भगवान विष्णु ने भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए लिया था चौथा अवतार

भगवान विष्णु की नृसिंह रूप में पूजा करने से दूर होती है बीमारियां और दुश्मनों पर जीत भी मिलती है

वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्री नृसिंह शक्ति तथा पराक्रम के प्रमुख देवता माने जाते हैं, पौराणिक मान्यता एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी तिथि को भगवान विष्णु ने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए नृसिंह रूप में अवतार लेकर राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप को मारा था। इस कारण ये दिन भगवान नृसिंह की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 14 मई को है।​​​​​​​

ब्रह्माजी से मिला था वरदान

ग्रंथों के मुताबिक कश्यप नामक ऋषि के दो बेटे थे। पहले वाले का नाम हरिण्याक्ष और दूसरे बेटे का नाम हिरण्यकश्यप था। दोनों में राक्षसों वाले गुण थे। इस वजह से धरती को बचाने के लिए भगवान विष्णु (नरसिंह अवतार) ने वराह रूप लेकर कश्यप ऋषि के बेटे हरिण्याक्ष को मार दिया था।

भाई की मौत से दुखी और गुस्सा होकर हिरण्यकश्यप ने बदला लेने की ठान ली। उसने बहुत कठिन तपस्या करके ब्रह्माजी को खुश कर के वरदान पाया कि वो किसी इंसान से नहीं मारा जा सके और न ही किसी जानवर से। न दिन में, न रात में, न घर में, न बाहर, न किसी हथियार से मरे। ऐसा वरदान मिलने से वो खुद को अमर समझने लगा। इसके बाद उसने इंद्र का राज्य छीन लिया और देवताओं के साथ ही ऋषि-मुनियों को भी परेशान करने लगा। वो चाहता था कि सब लोग उसे ही भगवान मानें और उसकी पूजा करें। उसने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा बंद करवा दी थी।

हिरण्यकश्यप का बेटा प्रह्लाद, भगवान विष्णु (नरसिंह अवतार) का भक्त था। उसको ऐसा करने से रोकने के लिए कई बार परेशान किया इसके बावजूद वो विष्णुजी की पूजा करता रहा। इस कारण हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे की हत्या के लिए कई कोशिशें की लेकिन भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु की कृपा से हर बार बच जाता था।

खम्बे से प्रकट हुए भगवान

एक दिन गुस्से में हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद से बोला, कहां है तेरा भगवान। सामने बुला। प्रह्लाद ने कहा, भगवान तो कण -कण में हैं। गुस्से में हिरण्यकश्यप ने कहा, अच्छा इस खम्बे में तेरा भगवान छिपा है? प्रह्लाद ने कहा, हां। ये सुन हिरण्यकश्यप ने अपनी गदा से खम्बे पर मारा, तभी खम्बे से भगवान नृसिंह प्रकट हुए और हिरण्यकश्यप को अपने जांघों पर रखकर उसकी छाती को नाखूनों से फाड़कर उसको मार डाला।

भगवान करते हैं रक्षा

वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर विष्णुजी के चौथे अवतार के रूप में भगवान नृसिंह पूजा की जाती है साथ ही इस दिन व्रत और उपवास भी किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाले को भगवान की पूजा के साथ ही श्रद्धा के हिसाब से अन्न, जल, तिल, कपड़े या लोगों की जरूरत के हिसाब से चीजों का दान देना चाहिए। इस दिन व्रत करने वाले के हर तरह के दुख खत्म हो जाते हैं। दुश्मनों पर जीत मिलती है और मनोकामना भी पूरी होती है।