जीभ चटोरी
किसको कोसे डूंगा बा के गरम समोसे
आंखें तरसें,तेल कढ़ाई
कहाँ कहाँ तक करें बड़ाई लाल वर्ण तुम “नेह”नहाये गजब तिकोने,तुम मन भाये
सुबह सुबह जब हमें परोसे
डूंगा बा के गरम समोसे राजा हो या रंक,समाना भेद यहाँ पर कहीं न माना
इक पंक्ति में बाट लगाये
नेता अफ़सर सभी सुहाए फीके पड़ गये इडली डोसे डूंगा बा के गरम समोसे
बीकानेरी हों रसगुल्ले
भुजिया पापड़ बल्ले बल्ले
हो अजमेरी सोहन हलवा
ब्यावर तिलपट्टी का जलवा कंकरवल्लि एक भरोसे डूंगा बा के गरम समोसे
जब तक सूरज चांद रहे
चटखारों का स्वाद रहे गुणवत्ता की बात रहे सामाजिक सौहार्द्र रहे
सब मिल खायें मौसी मौसे
डूंगा बा के गरम समोसे।
डा०राकेश तैलंग : द्वारकेश मार्ग,कांकरोली दि०27.05.2020