अब तक राजसमन्द के बारे में आप सब काफी कुछ जान चुके हैं, यहां के इतिहास और उसकी भव्यता आप सबसे छुपी नही है। इसी क्रम में एक और सुंदर, रमणीय और ऐतिहासिक स्थान के बारे में जानते हैं। विख्यात राजसमन्द झील के किनारे एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित ये अति प्राचीन मंदिर यहां बने महाराणा राजसिंह जी के किले राजमन्दिर का ही एक हिस्सा है,जिसे महाराणा द्वारा अपने प्रवास हेतु बनाया गया था।
अन्नपूर्णा माता मंदिर महल एक समय मे बेहद खस्ता हालत में पहुंच गया था लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां जीर्णोद्धार के जरिये इसकी पुरानी रौनक को लौटाया जा रहा है। NH-8 स्थित राजनगर से एक रास्ता 1.5किमी दूर इस महल तक जाता है, पास ही रूठी रानी का महल स्थित है जिसके बारे में आप पहले पढ़ चुके है। वर्तमान में इसके नवीनीकरण का काम चल रहा है।
यहां एक छोटे उद्यान के साथ ही पुराने परकोटे और बुर्जों का नवीनीकरण किया जा रहा है और वृक्षारोपण भी किया गया है जो आने वाले समय मे अद्भुत नज़ारे पेश करेगा। यह महल मेवाड़ के अन्य महलों की तरह विशाल और भव्य नहीं है लेकिन बेहद खूबसूरत है,महल में प्रवेश करते ही सामने खुला चौक है जिसे कमल चौक कहा जाता है,इस चौक में सामने बहुमंजिला महल रुपी भवन निर्मित है।
अन्नपूर्णा माता मंदिर भवन में नक्काशीयुक्त अलंकृत झरोखे बने हुए हैं। दाँई तरफ पीने के पानी के लिए जल कुंड बना हुआ है।इस जल कुंड के बाहर दो स्त्रियों की आदमकद मूर्तियाँ बनी हुई है, इसके पास का परिसर पत्थर की नक्काशीयुक्त जालीनुमा दीवार से कवर किया हुआ है। कमल चौक से आगे चंद सीढियां चढ़ने के बाद माँ अन्नपूर्णा का मन्दिर बना हुआ है,कहा जाता है माँ अन्नपूर्णा की पूजा सिसोदिया राजवँश द्वारा महाराणा हम्मीर के समय से की जा रही है।
इसके ठीक बगल में मामू भाणेज की दरगाह स्थित है, दरगाह के प्रति मुस्लिम समाज की अथाह श्रद्धा है,मन्दिर और दरगाह के ठीक पीछे की ओर नौचौकी और राजसमन्द झील है। यहां पास ही परकोटे पर एक छतरी बनी हुई है जहां से आप आसपास के सभी विहंगम दृश्यों को देखते हुए सुकून के साथ वक़्त बीता सकते हैं।
इसके पूर्णतया विकसित हो जाने के बाद यह अपने आप मे एक बेहतरीन पर्यटन स्थल बन जायेगा, यहां से दिखती नगर, झील और अन्य प्राकृतिक छटाएं हर किसी का मनमोह लेगी।
नोट- इस क्षेत्र में पैंथर की गतिविधियां होती रहती है अतः सुबह, शाम यहां आते समय थोड़ी सावधानी बनाये रखें।